लौर्ड मैकाले द्वारा 2 फरवरी सन 1835 को ब्रिटेन संसद में जब भारत में अंग्रेजी भाषा सीखा कर पश्चिमी सभ्यता से भारतीय सभ्यता को दबाने का प्रस्ताव रखा तो उन्होंने अपने भाषण में भारतीयता के संदर्भ में निम्नलिखित अत्यंत महत्वशाली बातें बोली थी
“मैं भारतवर्ष के हर कोने में गया और मैंने एक भी व्यक्ति नहीं देखा जो भिखारी हो या चोर हो। मैनें इस देश में ऐसा धन, ऐसी नैतिकता, ऐसे काबिल लोग देखे हैं कि मैं सोच नहीं सकता कि हम इस देश की संस्क्रिति और धर्म, जो कि भारतवर्ष की रीढ़ की हड्डी है, को तोड़े बिना कभी भी इस देश को अपने कब्जे में कर पायेंगे।
इसलिये मैं यह प्रस्ताव प्रस्तुत करता हुं कि हम भारतवर्ष की प्रचीन शिक्षा प्रणाली एवंम संस्क्रिति बदल कर पश्चिमी पदृती को स्थापित कर दें, ताकि भारतीय लोग यह सोच अपना लें कि जो भी विदेशी व इंगलिस्तानी है वह न केवल अच्छा है बल्कि भारतीयता से बहुत ज्यादा अच्छा है। ऐसा करने से भारतीय लोग अपना आत्म सम्मान व अपनी संस्क्रिति खो बैठेंगे और तभी भारतवर्ष में हमारी प्रभुसत्ता पूरी तरह से स्थापित हो सकेगी।“
This is an initiative to spread awarenees among common man about Public Policy and Reforms
Saturday, May 2, 2009
मैडीकल कालेज खोलने के बारे में जानने योग्य तथ्य
1. मूल सँरचना स्थापित करने केलिए कम से कम 500 करोड़ रुपये का पूँजीनिवेश अनिवार्य;
2. करीब 2000 कर्मचारियों के वेतन इत्यादि पर प्रति वर्ष कम से कम 100 करोड़ रुपये व्यय;
3. सरकारी क्षेत्र में ही मैडीकल कालेज खोलने का अर्थ है स्वास्थ्य-क्षेत्र के बजट का ज्यादातर भाग इसमें खर्च हो जाना और परिणाम स्वरूप आम जनता की सुविधा-हेतू स्वास्थ्य-केन्द्रों की स्थापना, स्टाफ व रख-रखाव (जो कि हमारे पहाड़ी राज्य में बहुत महत्वता रखता है) करने के लिए बजट में कमी पड़ जाना;
4. निजी-क्षेत्र में उपलब्ध पूँजी व प्रबन्धन सँसाधनों का सार्वजनिक क्षेत्र की साँझेदारी के साथ जोड़कर जो गति विकास की देश के कुछ दूसरे प्रदेशों में हुई है वह इस बात का प्रमाण देती है कि ऐसी साँझेदारी आम जनता के हित में होती है;
5. टाँडा मैडीकल कालेज जल्दबाजी में खोलकर न केवल उस कालेज का सँचालन ही प्रभावित हुआ बल्कि शिमला मैडीकल कालेज को अपँग बना दिया गया, और यह मुख्यता वितिय अभाव के कारण हुआ जो कि सार्वजनिक क्षेत्र अकेले वहन करने में असमर्थ था;
6. मैडीकल कालेज (सरकारी हो या गैर-सरकारी) के साथ हौसपिटल जुड़ जाने से मरीजों पर केवल थोड़ा सा वितीय बोझ पड़ता है जबकि उनको स्वास्थ्य सुविधा उच्च स्तर की उपलब्ध होती है;
7. मैडीकल कालेज से जुड़े हौसपिटलों में विशेष बिमारियों का इलाज करवाने के लिए ही मरीज जाते हैं न कि आम व छोटी-मोटी बिमारियों का इलाज करने के लिए, और ऐसे इलाज में खर्च सरकारी व गैर-सरकारी सँस्थानों में लगभग बराबर होता है;
8. निजी-क्षेत्र द्वारा चलाए जा रहे ज्यादातर सँस्थान सरकारी सँस्थानों से पीछे नहीं हैं, और न ही उन सँस्थानों से शिक्षा प्राप्त डाक्टर योग्यता में किसी से कम हैं;
1. मूल सँरचना स्थापित करने केलिए कम से कम 500 करोड़ रुपये का पूँजीनिवेश अनिवार्य;
2. करीब 2000 कर्मचारियों के वेतन इत्यादि पर प्रति वर्ष कम से कम 100 करोड़ रुपये व्यय;
3. सरकारी क्षेत्र में ही मैडीकल कालेज खोलने का अर्थ है स्वास्थ्य-क्षेत्र के बजट का ज्यादातर भाग इसमें खर्च हो जाना और परिणाम स्वरूप आम जनता की सुविधा-हेतू स्वास्थ्य-केन्द्रों की स्थापना, स्टाफ व रख-रखाव (जो कि हमारे पहाड़ी राज्य में बहुत महत्वता रखता है) करने के लिए बजट में कमी पड़ जाना;
4. निजी-क्षेत्र में उपलब्ध पूँजी व प्रबन्धन सँसाधनों का सार्वजनिक क्षेत्र की साँझेदारी के साथ जोड़कर जो गति विकास की देश के कुछ दूसरे प्रदेशों में हुई है वह इस बात का प्रमाण देती है कि ऐसी साँझेदारी आम जनता के हित में होती है;
5. टाँडा मैडीकल कालेज जल्दबाजी में खोलकर न केवल उस कालेज का सँचालन ही प्रभावित हुआ बल्कि शिमला मैडीकल कालेज को अपँग बना दिया गया, और यह मुख्यता वितिय अभाव के कारण हुआ जो कि सार्वजनिक क्षेत्र अकेले वहन करने में असमर्थ था;
6. मैडीकल कालेज (सरकारी हो या गैर-सरकारी) के साथ हौसपिटल जुड़ जाने से मरीजों पर केवल थोड़ा सा वितीय बोझ पड़ता है जबकि उनको स्वास्थ्य सुविधा उच्च स्तर की उपलब्ध होती है;
7. मैडीकल कालेज से जुड़े हौसपिटलों में विशेष बिमारियों का इलाज करवाने के लिए ही मरीज जाते हैं न कि आम व छोटी-मोटी बिमारियों का इलाज करने के लिए, और ऐसे इलाज में खर्च सरकारी व गैर-सरकारी सँस्थानों में लगभग बराबर होता है;
8. निजी-क्षेत्र द्वारा चलाए जा रहे ज्यादातर सँस्थान सरकारी सँस्थानों से पीछे नहीं हैं, और न ही उन सँस्थानों से शिक्षा प्राप्त डाक्टर योग्यता में किसी से कम हैं;
हिमाचल प्रदेश राज्य की स्थापना से लेकर काँग्रेस कुशासन के कारण उत्पन्न समस्यायें
1. बेरोज़गारी का लगातार बढ़ना;
2. गरीबी का उन्मुलन न हो पाना;
3. शिक्षा सँस्थानों का विकास व्यवसाइक न हो करके केवल अध्यातमिक-केन्द्रित होने से शिक्षित बेरोजगारों की अत्याधिक बढ़ोतरी होना;
4. वनों व पर्यावरण का प्रभावशाली ढँग से सँरक्षण करने में असमर्थता;
5. प्रशासनिक प्रभावहीनता के बढ़ने से आम आदमी की कठिनाइयों का बढ़ना;
6. सार्वजनिक इकाइयों में एक के बाद एक का घाटे में डूब जाना;
7. सामाजिक व आर्थिक सुधार लाने में पूर्ण असमर्थता;
8. सड़क, रेल व हवाई सँरचना विकास करने में ढीलमढला रवैया;
9. मिझौलियों द्वारा हो रहे किसानों के शोषण को न रोक पाना;
10. स्वास्थ्य सुविधायें उपयुक्त ढँग से आम लोगों को प्रदान करने में असमर्थता;
11. शिक्षा सँस्थानों में उपयुक्त सँरचना व शिक्षक दे पाने में असमर्थता;
12. क्षेत्रवाद की भावना को बढ़ावा देना;
13. जातिवाद को बढ़ावा देना;
14. भतीजा वाद को बढ़ावा देना।
Friday, May 1, 2009
राज्य (हिमाचल प्रदेश) में काँग्रेस सरकार द्वारा 2003-08 की अवधी में किए गए दुष-प्रभाव वाले कार्य
1. क्षेत्रीय भेद भाव को राजनैतिक व प्रशासनिक स्तर पर बढ़ावा दिया और इस बात की झलक सामाजिक व आर्थिक विकास में भी नज़र आई;
2. भ्रष्टाचार चरम सीमा तक पँहुच गया;
3. सड़क निर्माण व मुरम्मत कार्य बिल्कुल ठप पड़ गया;
4. केन्द्र में अपनी ही पार्टी की अगुवाई वाली सरकार होते हुए भी राज्य की काँग्रेस सरकार न तो सँरचना विकास हेतू कोई विशेष आर्थिक सहायता प्राप्त कर सकी और न ही किसी केन्द्रीय शिक्षा या स्वास्थ्य सँस्था की स्थापना करवा सकी;
5. पालमपुर में विवेकानन्द ट्रस्ट द्वारा सँचालित सँस्थान को प्रभावी ढँग से चलाने में निम्न स्तर की राजनीती खुलेआम खेलकर प्रदेश की जनता को होने वाले महत्वशाली लाभ से वँछित रखा गया;
6. रोहताँग टनल का कार्य बिल्कुल ठप पड़ गया;
7. रेल नैटवर्क का राज्य में कोई विस्तार नहीं करवा सके;
8. हवाई सेवा में विस्तार होने के बजाय उल्टा उन्मुलन हो गया;
9. मैडीकल कालेजों में डाक्टरों व अन्य टैक्नीकल पदों की अत्याधिक रिक्तियां होने के कारण जनता को इन सँस्थानों से पुर्ण लाभ नहीं मिल सका;
10. शिक्षा सँस्थानो में रिक्तियां होने के कारण और उपर से चन्द रिक्तियों को अपंग व्यवस्थानुसार भरकर बच्चों की पढ़ाई पर बुरा प्रभाव पड़ा;
11. आम जनता की भलाई वाली स्कीमों को क्रियान्वयन करने वाले विभागों में रिक्त पदों को न भर करके एक ओर जनहित को क्षति पँहुची तथा दूसरी ओर मिलने वाले रोज़गार से प्रदेश के युवाओं को वँछित रहना पड़ा;
12. पन-बिजली योजनाओं सम्बन्धी एम.ओ.यु. में राज्य हितों को नज़र-अन्दाज किया गया;
13. राज्य में चल रहे निजी-उद्योगों में 70% हिमाचलियों को नौकरी पर रखने वाली शर्त का कड़ाई से पालन न करके राज्य के बेरोजगार युवकों को नौकरी से वंछित रहना पड़ा;
14. एच.पी.एम.सी., एग्रो-इन्डस्ट्री तथा एग्रो-पैकेजिंग जैसी किसान-हितैशी सार्वजनिक इकाइयों की दुर्दशा इतनी बढ़ा दी कि ये बन्द होने के कगार पर पँहुच गई;
15. हौरटीकलचर-मिशन के अन्तर्गत केवल प्रचार किया गया और कोई ठोस योजना फिल्ड में लागु न करके लोगों को इससे होने वाले महत्वशाली लाभ से वँछित रखा गया;
16. किसानों व बागवानों को आढ़तियों द्वारा किए जा रहे शोषण से बचाने केलिए कोई भी ठोस कदम नहीं उठाये गए;
17. सिंचाई परियोजनाओं का सुधार करने की बजाय घोटाले करने की ओर ही ज्यादा ध्यान दिया गया।
यु.पी.ए. सरकार के कार्यकाल की मुख्य त्रुटियां
1. गैर-संवैधानिक सत्ता-केन्द्र स्थापित कर, प्रधान मन्त्री सँस्था का भरपूर उन्मुलन करना;
2. देश की आन्तरिक व बाह्या सुरक्षा करने में पूर्ण असमर्थता;
3. आतँक-विरोधी कानून रद कर आतँक को प्रोत्साहन देना और आतँकी हमले में काफी मासूमों की जानें गंवाकर एक अपंग कानून बनाना;
4. महँगाई नियन्त्रण में पूर्ण असमर्थता;
5. किसानों की समस्याओं का उन्मुलन करने में पूर्ण असमर्थता;
6. सच्चर-कमेटी की रिपोर्ट बनवा कर साम्प्रदाइकता को बढ़ाना;
7. रामसेतू मुद्ये पर धार्मिक भावना से खिलवाड़ करना;
8. अमरनाथ श्राईन बोर्ड को यात्रा हेतू भूमी देने बारे राजनैतिक-साँप्रदाइकता का खेल खेलना;
9. एन.डी.ए. सरकार द्वारा गति से किए जा रहे सँरचना विकास को ब्रेक लगाना;
10. पड़ोसी देशों से सहयोग मिलने के बजाय आतँकवाद की सौगात पाना;
11. श्रीलँका में तामिलों के हितों की रक्षा करने में असमर्थता;
12. आर्थिक सुधारों की प्रक्रिया को बिल्कुल ठप कर देना;
13. महिलाओं के लिए 33% आरक्षण-बिल पारित करवाने में असफलता;
2. देश की आन्तरिक व बाह्या सुरक्षा करने में पूर्ण असमर्थता;
3. आतँक-विरोधी कानून रद कर आतँक को प्रोत्साहन देना और आतँकी हमले में काफी मासूमों की जानें गंवाकर एक अपंग कानून बनाना;
4. महँगाई नियन्त्रण में पूर्ण असमर्थता;
5. किसानों की समस्याओं का उन्मुलन करने में पूर्ण असमर्थता;
6. सच्चर-कमेटी की रिपोर्ट बनवा कर साम्प्रदाइकता को बढ़ाना;
7. रामसेतू मुद्ये पर धार्मिक भावना से खिलवाड़ करना;
8. अमरनाथ श्राईन बोर्ड को यात्रा हेतू भूमी देने बारे राजनैतिक-साँप्रदाइकता का खेल खेलना;
9. एन.डी.ए. सरकार द्वारा गति से किए जा रहे सँरचना विकास को ब्रेक लगाना;
10. पड़ोसी देशों से सहयोग मिलने के बजाय आतँकवाद की सौगात पाना;
11. श्रीलँका में तामिलों के हितों की रक्षा करने में असमर्थता;
12. आर्थिक सुधारों की प्रक्रिया को बिल्कुल ठप कर देना;
13. महिलाओं के लिए 33% आरक्षण-बिल पारित करवाने में असफलता;
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