1. बेरोज़गारी का लगातार बढ़ना;
2. गरीबी का उन्मुलन न हो पाना;
3. शिक्षा सँस्थानों का विकास व्यवसाइक न हो करके केवल अध्यातमिक-केन्द्रित होने से शिक्षित बेरोजगारों की अत्याधिक बढ़ोतरी होना;
4. वनों व पर्यावरण का प्रभावशाली ढँग से सँरक्षण करने में असमर्थता;
5. प्रशासनिक प्रभावहीनता के बढ़ने से आम आदमी की कठिनाइयों का बढ़ना;
6. सार्वजनिक इकाइयों में एक के बाद एक का घाटे में डूब जाना;
7. सामाजिक व आर्थिक सुधार लाने में पूर्ण असमर्थता;
8. सड़क, रेल व हवाई सँरचना विकास करने में ढीलमढला रवैया;
9. मिझौलियों द्वारा हो रहे किसानों के शोषण को न रोक पाना;
10. स्वास्थ्य सुविधायें उपयुक्त ढँग से आम लोगों को प्रदान करने में असमर्थता;
11. शिक्षा सँस्थानों में उपयुक्त सँरचना व शिक्षक दे पाने में असमर्थता;
12. क्षेत्रवाद की भावना को बढ़ावा देना;
13. जातिवाद को बढ़ावा देना;
14. भतीजा वाद को बढ़ावा देना।
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