Saturday, May 2, 2009

मैडीकल कालेज खोलने के बारे में जानने योग्य तथ्य
1. मूल सँरचना स्थापित करने केलिए कम से कम 500 करोड़ रुपये का पूँजीनिवेश अनिवार्य;

2. करीब 2000 कर्मचारियों के वेतन इत्यादि पर प्रति वर्ष कम से कम 100 करोड़ रुपये व्यय;

3. सरकारी क्षेत्र में ही मैडीकल कालेज खोलने का अर्थ है स्वास्थ्य-क्षेत्र के बजट का ज्यादातर भाग इसमें खर्च हो जाना और परिणाम स्वरूप आम जनता की सुविधा-हेतू स्वास्थ्य-केन्द्रों की स्थापना, स्टाफ व रख-रखाव (जो कि हमारे पहाड़ी राज्य में बहुत महत्वता रखता है) करने के लिए बजट में कमी पड़ जाना;

4. निजी-क्षेत्र में उपलब्ध पूँजी व प्रबन्धन सँसाधनों का सार्वजनिक क्षेत्र की साँझेदारी के साथ जोड़कर जो गति विकास की देश के कुछ दूसरे प्रदेशों में हुई है वह इस बात का प्रमाण देती है कि ऐसी साँझेदारी आम जनता के हित में होती है;

5. टाँडा मैडीकल कालेज जल्दबाजी में खोलकर न केवल उस कालेज का सँचालन ही प्रभावित हुआ बल्कि शिमला मैडीकल कालेज को अपँग बना दिया गया, और यह मुख्यता वितिय अभाव के कारण हुआ जो कि सार्वजनिक क्षेत्र अकेले वहन करने में असमर्थ था;

6. मैडीकल कालेज (सरकारी हो या गैर-सरकारी) के साथ हौसपिटल जुड़ जाने से मरीजों पर केवल थोड़ा सा वितीय बोझ पड़ता है जबकि उनको स्वास्थ्य सुविधा उच्च स्तर की उपलब्ध होती है;

7. मैडीकल कालेज से जुड़े हौसपिटलों में विशेष बिमारियों का इलाज करवाने के लिए ही मरीज जाते हैं न कि आम व छोटी-मोटी बिमारियों का इलाज करने के लिए, और ऐसे इलाज में खर्च सरकारी व गैर-सरकारी सँस्थानों में लगभग बराबर होता है;

8. निजी-क्षेत्र द्वारा चलाए जा रहे ज्यादातर सँस्थान सरकारी सँस्थानों से पीछे नहीं हैं, और न ही उन सँस्थानों से शिक्षा प्राप्त डाक्टर योग्यता में किसी से कम हैं;

No comments: