Saturday, May 2, 2009

लौर्ड मैकाले द्वारा 2 फरवरी सन 1835 को ब्रिटेन संसद में जब भारत में अंग्रेजी भाषा सीखा कर पश्चिमी सभ्यता से भारतीय सभ्यता को दबाने का प्रस्ताव रखा तो उन्होंने अपने भाषण में भारतीयता के संदर्भ में निम्नलिखित अत्यंत महत्वशाली बातें बोली थी
“मैं भारतवर्ष के हर कोने में गया और मैंने एक भी व्यक्ति नहीं देखा जो भिखारी हो या चोर हो। मैनें इस देश में ऐसा धन, ऐसी नैतिकता, ऐसे काबिल लोग देखे हैं कि मैं सोच नहीं सकता कि हम इस देश की संस्क्रिति और धर्म, जो कि भारतवर्ष की रीढ़ की हड्डी है, को तोड़े बिना कभी भी इस देश को अपने कब्जे में कर पायेंगे।

इसलिये मैं यह प्रस्ताव प्रस्तुत करता हुं कि हम भारतवर्ष की प्रचीन शिक्षा प्रणाली एवंम संस्क्रिति बदल कर पश्चिमी पदृती को स्थापित कर दें, ताकि भारतीय लोग यह सोच अपना लें कि जो भी विदेशी व इंगलिस्तानी है वह न केवल अच्छा है बल्कि भारतीयता से बहुत ज्यादा अच्छा है। ऐसा करने से भारतीय लोग अपना आत्म सम्मान व अपनी संस्क्रिति खो बैठेंगे और तभी भारतवर्ष में हमारी प्रभुसत्ता पूरी तरह से स्थापित हो सकेगी।“

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